या दोस्त कोई मिल गया हमसे भी प्यारा ?

सूरज डूब गया, और उभर आया ध्रुव तारा 
पर आज भी नही आया पैगाम तुम्हारा 
रूठी है हमारी किस्मत, जो भूल गये नाम हमारा 
या दोस्त कोई मिल गया, हमसे भी प्यारा ?

आज दिल ने फिर किया आँखों का इशारा 
सिसक ने याद दिलाया कि गम है सहारा 
कटते नही दिन कैसे हो रातों का गुजारा ?
काश सुन पाते तुम जब दिल ने था तुम्हे पुकारा 

तन्हाई ने दिखाया था जिंदगी जीने का नज़ारा 
काट ही लेते वैसे, हम अपना ये जीवन सारा 
पर आ गये तुम जैसे किसीने डूबते को उभारा 
फिर कहाँ चल दिए, छोड़के के साथ हमारा ?

अब आस लगायें बैठें, या तोड़ दें वादों के पुल 
चलें आगे सीना ताने या बैठें संभाले हाल-ए-दिल 
कभी सोचते हैं , 'अब कहाँ आ गये हैं'
शायद गर्दिश में कहीं, छुट गयी महफ़िल 

हिचकियाँ रो आती होंगी, जब याद करता है दिल बेचारा 
तो बस एक बार मुड़ के मुस्कुरा दो दोबारा 
जीने की वजह मिल जाए और सुधर जाये दिल आवारा 
वरना समझेंगे सच में दिल मिल गया, दोस्त कोई हमसे भी प्यारा !

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