दूर कुछ भी नही


दूर कुछ भी नही और समय भी पर्याप्त है 
बस तुम्हारा आत्मबल चलने की प्रेरणा दे दे 
कार्य कितने भी हो और मुश्किले हरपल मिले 
बाजुओं में दम हो, मन करने की आज्ञा दे दे 

                                    राह में कितनी भी विपरीत हवाएं आयें 
                                    और लहरों के वेग बार-बार टकराये 
                                    नाव साहिल पे पहुच जाएगी रफ़ता-रफ़ता 
                                   बुद्धि पतवार पकड़ने की चेतना दे दे 

आँधियों में नन्हे चिराग से पूछो 
मध्य काटों के सुगन्धित गुलाब से पूछो 
जिंदगी सिर्फ सुहानी सुबह का नाम नही 
धुप में जलते हुए अफताब से पूछो 

                                  कुछ असंभव नही है उम्र भी पर्याप्त है 
                                 बस नेक दिल करने की आज्ञा दे दे !

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