दिल लगा कर हम तो पछताए बहुत...

जख्म झेले दाग भी खाए बहुत 
दिल लगा कर हम तो पछताए बहुत

देर से सु-ए-हरम आया न तू 

हम मिजाज अपना इधर लाये बहुत 

फुल गुल शाम-ओ-गमार सरे ही थे 

पर हमें उनमे तुम ही भाये बहुत 

गर बुका इस शोर से शब् को है तो 

रोवेंगे सोने को हमसाये बहुत 

मीर से पूछा जो मैं आशिक हो तुम 
हो के कुछ चुपके से शर्माए बहुत 
                              
                -मीर तागी मीर

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