तन्हाई !

रहते हैं साथ - साथ मैं और मेरी तन्हाई
करते हैं राज़ की बात मैं और मेरी तन्हाई 

दिन तो गुजर जाता है लोगों की भीड़ में 
करते हैं रात बसर मैं और मेरी तन्हाई 

आया ना याद कभी भूल कर भी मैं 
करते हैं रात बसर मैं और मेरी तन्हाई 

आ के दूर क्यूँ दूर हो गये हमसे 
करते हैं तुम्हारी तलाश मैं और मेरी तन्हाई !
     

शायरी !

कभी दोस्त कहते हो
कभी दुआ देते हो
कभी बेवक्त नींद से जगा देते हो
पर जब भी याद करते हो,
खुदा की कसम - जिंदगी के सरे गम भुला देते हो !
धड़कते दिल के फ़साने बहुत हैं
जिन्दगी जीने के बहाने बहुत हैं
आप सदा यु ही मुस्कुराते रहें
आपकी मुस्कराहट के दीवाने बहुत हैं 
जिन्दगी के अनजानी राहों में
कुछ ऐसे भी लोग मिल जाते हैं
छू लेते हैं दिल की गहराईयों को
अनजाने में उनसे रिश्ते बन जाते हैं 
मेरी आँखों में तेरे प्यार का सपना सुनहरा था
अगर तूने कभी रुक कर आवाज़ दी होती
मैं आ जाती ज़माने का भले लाख ही पहरा था 
तेरी आवाज़ के शहनाईयों से प्यार करती हु
तस्सवुर में तेरे तन्हाईयों से प्यार करती हु
जो मेरे नाम से तेरे नाम को जोड़े जामाने वाले
उन चर्चो से अब मैं प्यार करती हु 

बस मुझे मेरा प्यार चाहिए !

जो बनी हो मेरे लिए 
जिसके लिए मैं जी रहा हु 
जो कहे हम साथ हैं तेरे 
जिसे देखने के लिए तड़प रहा हु 
एक ऐसा ही दीदार चाहिए 
बस मुझे मेरा प्यार चाहिए 

आने से जिसके फूल भी शरमा जाये 
चलने से जिसके हवा भी थम जाये 
जो हर वक़्त रहे साथ में मेरे
चाहे सारी दुनिया मुझसे रूठ जाये 
ऐसा भी किसी का ऐतबार चाहिए 
बस मुझे मेरा प्यार चाहिए 

जिसकी एक हसी के लिए 
मर जाने को दिल करे 
जो कह दे एकबार तो 
फिर जीने को दिल करे 
ऐसा ही एक हमसफ़र चाहिए 
बस मुझे मेरा प्यार चाहिए 

एक बार मिली थी मुझे वो
पर पता नही कहा खो गयी 
अब अगर मिल जाये तो तो 
उसे कही जाने ना दू 
वही खोया यार चाहिए 
बस मुझे मेरा प्यार चाहिए !

दिल लगा कर हम तो पछताए बहुत...

जख्म झेले दाग भी खाए बहुत 
दिल लगा कर हम तो पछताए बहुत

देर से सु-ए-हरम आया न तू 

हम मिजाज अपना इधर लाये बहुत 

फुल गुल शाम-ओ-गमार सरे ही थे 

पर हमें उनमे तुम ही भाये बहुत 

गर बुका इस शोर से शब् को है तो 

रोवेंगे सोने को हमसाये बहुत 

मीर से पूछा जो मैं आशिक हो तुम 
हो के कुछ चुपके से शर्माए बहुत 
                              
                -मीर तागी मीर

हंगामा क्यूँ है बरपा थोड़ी सी जो पी ली है..

हंगामा है क्यूँ बरपा थोड़ी सी जो पी ली है 
डाका तो नही डाला चोरी तो नही की है
ना ताजुर्बेकारी से वयेज़ की ये बातें हैं 
इस रंग को क्या जाने पूछो तो कभी पी है

उस मै से नही मतलब, दिल जिससे है बेगाना 
मकसूद है उस मै से दिल ही, में जो खिचती है


वान दिल में की सदमे दो यां जी में के सब सह लो 
उनका भी अजीब दिल है मेरा भी अजीब जी है 


हर जर्रा चमकता है अकबर ए इलाही से 
हर साँस ये कहती है हम हैं तो खुदा भी है 



सूरज में लगे धब्बे फितरत के करिश्मे हैं 
पर हम तो कहें काफ़िर अल्लाह की मर्जी है

                                     - Akbar Allahabadi