मुझको यकीन है सच कहती थी जो भी अम्मी कहती थीं | Mujhko Yakin Hai Sach Sahti thin Jo Bhi Ammi Kahti thin - Javed Akhtar












मुझको यकीन है सच कहती थीं जो भी अम्मी कहती थीं 
जब मेरे बचपन के दिन थे चाँद में परियाँ रहती थीं 
इक ये दिन जब अपनों ने भी हमसे रिश्ता तोड़ लिया 
इक वो दिन जब पेड़ के साखें बोझ हमारा सहती थीं 
इक ये दिन जब लाखों ग़म और अकाल पड़ा है आँशु का 
इक वो दिन जब ज़रा सी बात पे नदियाँ बहती थीं 
इक ये दिन सड़के रूठी - रूठी लगती हैं 
इक वो दिन जब "आओ खेलें" सारी गलियाँ कहती थीं 
इक ये दिन जब जगी रातें दीवारों को ताकती हैं 
इक वो दिन जब शाखों के भी पलकें बोझल रहती थीं 
इक ये दिन जब ज़हां में सारी अय्यारी के बातें हैं 
इक वो दिन जब दिल में सारी भोली बातें रहती थीं 
इक ये घर जिस घर में मेरा साज़-ओ-सामान रहता है 
इक वो घर जिसमे मेरी बूढी नानी रहती थीं. 

कोई हमसे पूछे सावन का महीना क्या है | Koi Humse Puchhe Sawan Ka Mahina Kya Hai


जीने वालों से पूछते हो जीने का सबब 
मरने वाले से जरा पूछो जीना क्या है 
बरसती  रहती  हैं उनपर बूंदों की लड़ियाँ सदा 
कोई हमसे पूछे सावन का महीना क्या है 

दमकते रेत पर चल कर पहुचे जो तलाब तक 
हाथ लगाते ही पानी जैसे सूख सा गया 
उन्हें क्या पता जिन्हें मिले हैं जाम सुराही से 
कोई हमसे पूछे मेहनत का पसीना क्या है 

महफिलों में अक्सर कहते हैं सब 
दिल-ए-नाशाद ना बयां करो अपना 
करें ना हमपर रहम मगर 
कोई हमसे पूछे अश्कों को पीना क्या है ?

साँसे हैं तब तक एक मुलाक़ात कर लो 
कुछ नही तो बस ये सवालात कर लो 
चले जाएँगे जब तक कौन बतलाएँगे तुम्हे 
दिल के जख्मों को आँखों से सीना क्या है ?

मेरी आरज़ू | Meri Aarzoo




कोई रात मेरे आशना, मुझे यूँ भी तो नशीब हो
न रहे ख्याल लिबास का, वो इतना मेरे करीब हो 

बदन की गर्म आंच से, मेरी आरजू को आग दे 
मेरा जोश बहक उठे, मेरा हाल भी अजीब हो 

तेरे चाशनी वजूद का सारा रस मैं चुरा लूँ
फिर तू ही मेरा मर्ज़ हो, और तू ही मेरा तबीब हो

जब भी मिलते हो...!! Jab bhi milte ho


जब भी मिलते हो..
उदासी की वजह दे जाते हो.

मेरे जज्बातों को...
ये कैसी हवा दे जाते हो.

ना चाहते हुए भी..
तेरे दर पर ले जाते हैं कदम.

इक तुम हो कि... 
मिलकर भी नही मिलते हो

सितम की हद भी...
सितमगढ़ लांघ जाते हो.

बेइन्तेहाँ दर्द देकर...
रोने भी नही देते हो.

ये तेरी कैसी चाहत...
कि चाहकर भी नही चाहते हो.