जब भी मिलते हो...!! Jab bhi milte ho


जब भी मिलते हो..
उदासी की वजह दे जाते हो.

मेरे जज्बातों को...
ये कैसी हवा दे जाते हो.

ना चाहते हुए भी..
तेरे दर पर ले जाते हैं कदम.

इक तुम हो कि... 
मिलकर भी नही मिलते हो

सितम की हद भी...
सितमगढ़ लांघ जाते हो.

बेइन्तेहाँ दर्द देकर...
रोने भी नही देते हो.

ये तेरी कैसी चाहत...
कि चाहकर भी नही चाहते हो.

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