जागती रात के होठों पर फसाने जैसे 
एक पल में सिमट आये हों ज़माने जैसे 

अक्ल कहती है भुला दो जो नही मिल पाया 
दिल वो पागल के कोई बात ना माने जैसे 

रास्ते में वही मंज़र हैं पुराने अब तक 
बस कमी है तो नही लोग पुराने जैसे 

आइना देख कर एहसास होता है 
ले गया हो वक़्त उम्रों के खजाने जैसे 

रात की आँख से टपकता हुआ आंशु 
मखमली घास पे मोती के हो दाने जैसे 

0 comments:

Post a Comment

आपके comment के लिए धन्यवाद !
हम आशा करते हैं आप हमारे साथ बने रहेंगे !