मैं जब खामोश रहता हु , तो सब घबरा से जाते हैं
पूछते हैं क्या हुआ है, और जवाब चाहते हैं
जब मैं झूठ कहता हु वो कन्धा थप-थपाते हैं
जो सच कहता हूँ तो अक्सर वो मुझसे रूठ जाते हैं
पूछते हैं क्या हुआ है, और जवाब चाहते हैं
जब मैं झूठ कहता हु वो कन्धा थप-थपाते हैं
जो सच कहता हूँ तो अक्सर वो मुझसे रूठ जाते हैं
काले और श्वेत के रंग में रंगा है सबका ये जीवन
सही और गलत के बीच में होता नही कोई बंधन
मगर ये कैसी उलझन है जहाँ मजबूर है ये मन
न आंसू है न कोई मुस्कान, है बस एक अँधा पागलपन
सही और गलत के बीच में होता नही कोई बंधन
मगर ये कैसी उलझन है जहाँ मजबूर है ये मन
न आंसू है न कोई मुस्कान, है बस एक अँधा पागलपन
इस दुनिया को हरा कर मैं सिकंदर बन तो जाऊँगा
हर एक मुश्किल को पार कर मैं शायद जी भी जाऊँगा
मगर अपनों से लड़ने की ये हिम्मत मैं कहाँ से लाऊंगा
है कमजोरी ये ऐसी मैं जो कभी न झेल पाऊंगा
हर एक मुश्किल को पार कर मैं शायद जी भी जाऊँगा
मगर अपनों से लड़ने की ये हिम्मत मैं कहाँ से लाऊंगा
है कमजोरी ये ऐसी मैं जो कभी न झेल पाऊंगा
वफ़ा कर के ज़माने से ठोकर खायी है मैंने
फिर भी हँसके ज़ालिम से नज़र मिलायी है मैंने
पर अब जो मन दुखाया है मेरा बेरहमी से इसने
हँसी के संग वो मुस्कान भी भुलायी है मैंने
फिर भी हँसके ज़ालिम से नज़र मिलायी है मैंने
पर अब जो मन दुखाया है मेरा बेरहमी से इसने
हँसी के संग वो मुस्कान भी भुलायी है मैंने
इस जीवन के पहलु को बहुत करीब से परखा है
कभी रो रो के देखा है, कभी हस हस के झेला है
उजाले में कभी आँखों को मूँद कर चला हूँ मैं
अँधेरे में साये को खोते हुए हर बार देखा है
कभी रो रो के देखा है, कभी हस हस के झेला है
उजाले में कभी आँखों को मूँद कर चला हूँ मैं
अँधेरे में साये को खोते हुए हर बार देखा है
तो जब तुम पूछते हो लब मेरे बंधे हुए क्यों हैं
हँसी मेरी इरादों में कही गुमशुम हुए क्यों है
मैं क्या बतलाऊं तुमको क्या मेरी आँखों की हसरत है
हँसी का एक कारण ढूंढे है ग़मों में जब से डूबे हैं
हँसी मेरी इरादों में कही गुमशुम हुए क्यों है
मैं क्या बतलाऊं तुमको क्या मेरी आँखों की हसरत है
हँसी का एक कारण ढूंढे है ग़मों में जब से डूबे हैं
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