फूल सी कोमलता रास न आयी तुझे
और कांटो से कहा कि चुभना छोड़ दे
मेरा हँसना तो तुझे गवारा ना हुआ
और कहती हो मुझसे कि रोना छोड़ दे !
ऐसी क्या खता हुई मुझसे
कि तू अपने किये सारे वादे तोड़ दिए
उन औरों पर इतना भरोसा कैसे
जो अपनों से तेरा रिश्तों की गाठ खोल दे !
बददुआ भी दूँ तो कैसे
एक ज़माने में तुझे पलकों पे बिठाया था
हर उछलते दाग के सामने डाली थी चिलमन मैंने
और अब कहती हो मुझे अकेला छोड़ दे !
0 comments:
Post a Comment
आपके comment के लिए धन्यवाद !
हम आशा करते हैं आप हमारे साथ बने रहेंगे !