हँसाती थी मुझको, फिर रुला भी देती थी...














हंसाती थी मुझ को, फिर रुला भी देती थी
कर के वो मुझसे अक्सर वादे, भुला भी देती थी
बेवफा थी बहुत मगर, अच्छी लगती थी दिल को 
कभी-कभी बातें मोहब्बत की, सुना भी देती थी
थाम लेती थी मेरा हाथ, खुद यूँ ही
कभी अपना हाथ मेरे हाथ से, छुड़ा भी लेती थी
कभी बेवक्त चली आती थी, मिलने को
कभी कीमती पल मोहब्बत के, गवां भी देती थी
अजब धुप-छाव सा, मिजाज़ था उसका 
मोहब्बत भी करती थी, और दिल दुखा भी देती थी

गुस्ताख़ दिल की मेरे बस इतनी सी है ख्वाइश | SketchyHeart

तेरे सीने से लग कर, तेरी आरजू बन जाऊँ
तेरी साँसों से मिलकर, तेरी खुशबू बन जाऊं
फासले ना रहे कोई हम दोनों के दरमियां
मैं, मैं ना रहूँ,बस तू ही तू बन जाऊ

सुनी रातों की तन्हाईयाँ जब सताएगी तुझे
तेरी उन खामिशियों की गुफ्तगू बन जाऊ

जैसे दिलबर की हो तुझ को तमन्ना जाना
रब करे मैं वैसी हु-ब-हु बन जाऊ

गुस्ताख दिल की मेरे बस इतनी सी है ख्वाइश
तेरी धडकनों की मैं ही जुस्तुजू बन जाऊ