मोहब्बत पे मेरी फिर उसको ऐतबार आएगा !


देख कर जिसे दिल को मेरे क़रार आएगा 
लौट कर कभी तो मेरा वो यार आएगा 
वो मुझे भूल भी गया है तो कोई बात नही 
मगर ख्याल उसको मेरा बार बार आएगा 
मैं जानता हूँ उसके दिल दिल में मेरे लिए नफरत है मगर 
एक दिन वो मेरे पास हो के शरम-सार आएगा 
वो भी रो देगा मेरी हालत देख कर 
मोहब्बत पे मेरी फिर उसको ऐतबार आएगा 
कहता फिरेगा वो लोगो से बहुत अच्छा था मेरा यार 
जब मैयत पे मेरी वो हो के अश्क-बार आएगा 

दिल की बात लबों पर लाकर, अब तक हम दुख सहते हैं |


दिल की बात लबों पर लाकर, अब तक हम दुख सहते हैं| 
हम ने सुना था इस बस्ती में दिल वाले भी रहते हैं| 

बीत गया सावन का महीना मौसम ने नज़रें बदली, 
लेकिन इन प्यासी आँखों में अब तक आँसू बहते हैं| 

एक हमें आवारा कहना कोई बड़ा इल्ज़ाम नहीं, 
दुनिया वाले दिल वालों को और बहुत कुछ कहते हैं| 

जिस की ख़ातिर शहर भी छोड़ा जिस के लिये बदनाम हुए, 
आज वही हम से बेगाने-बेगाने से रहते हैं| 

My Shayari






तुझे पाने की कोशिश में कुछ इतना खो चुका हूँ मैं 
कि तू अगर मिल भी जाए तो अब मिलने का गम होगा 

Short shayari




रंजिश ही सही दिल दुखाने के लिए आ 
आ फिर से मुझे छोड़ जाने के लिए आ 
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम 
तू मुझसे खफा है तो जमाने के लिए आ !

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यूँ तो मसले औ मुद्दे बहुत हैं,
लिखने को मगर...
कमबख्त इन कागजों को तेरा ही 
जिक्र अजीज है...

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इक बार उलझना है तुमसे 
बहुत कुछ सुलझाने के लिए...


ना जाने कब से इंतज़ार है उसका 
जो कह गया था मेरा इंतज़ार मत करना !

मासूम सा था वो जान मेरा !

खुबसूरत, ख्वाब था वो
जब वो मेरे साथ था 
सारा जहाँ था मेरा 
मासूम सा था वो जान मेरा 

कुछ पल का साथ उसका
जिन्दगी थी और खुशी भी 
थी वहाँ पतवार भी
थी हजारों कश्तियाँ 

मेरा वो अभिमान था 
मेरा वो पहचान था 
या यूँ कहो की जान था 
मासूम सा.......

समंदर सारे शराब होते तो सोचो कितना बवाल होता !

समंदर सारे शराब होते तो सोचो कितना बवाल होता,

हक़ीक़त सारे ख़्वाब होते तो सोचो कितना बवाल होता,
किसी के दिल में क्या छुपा है ये बस ख़ुदा ही जानता है,


दिल अगर बेनक़ाब होते तो सोचो कितना बवाल होता
थी ख़ामोशी हमारी फितरत में तभी तो बरसो निभ गयी लोगो से,


अगर मुँह में हमारे जवाब होते तो सोचो कितना बवाल होता,

हम तो अच्छे थे पर लोगो की नज़र में सदा बुरे ही रहे,
कहीं हम सच में ख़राब होते तो सोचो कितना बवाल होता..

अपने कहने को तो बहुत मिले...














क्या ख़ूब ज़माने की वफ़ा देखते रहे 
हर बात में हम अपनी खता देखते रहे 

यूँ तो ज़माने ने बदले बहुत रंग 
पर हम उसी की ज़फ़ा देखते रहे 

मुश्किलों में थी ज़िन्दगी हमारी 
हम तो बस हालातों का मज़ा देखते रहे 

अपना कहने को तो बहुत मिले 
पर हम उसका एहसास देखते रहे 

यूँ तो चाहत का समन्दर था हमारे पास
हम तो किसी के मिलने की आस देखते रहे...