हर बात में हम अपनी खता देखते रहे
यूँ तो ज़माने ने बदले बहुत रंग
पर हम उसी की ज़फ़ा देखते रहे
मुश्किलों में थी ज़िन्दगी हमारी
हम तो बस हालातों का मज़ा देखते रहे
अपना कहने को तो बहुत मिले
पर हम उसका एहसास देखते रहे
यूँ तो चाहत का समन्दर था हमारे पास
हम तो किसी के मिलने की आस देखते रहे...
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