बहके बहके हुए अंदाज़-ए-बयां होते हैं !!!!


बहके-बहके हुए अंदाज़-ए-बयां होते हैं 
आप होते हैं तो फिर होश कहाँ होते हैं 

होंठ पाबंद होते हैं निगाहें बयां होते हैं 
कोई समझे तो ये आंशु भी जुबान होते हैं 

याद है तेरी निगाहों का बदलना मुझको 
ऐसे अंदाज़ क़यामत में कहाँ होते हैं 

क्यूँ शब्-ए-ग़म ना जलाऊँ तेरी यादों के चिराग 
उस से रोशन मेरी मंजिल के निशां होते हैं 

ग़म है बाक़ी तो किसी रोज़ ख़ुशी भी होगी 
फूल भी ख़ाक के पहलु में जवां होते हैं 

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