दिल की बात लबों पर लाकर, अब तक हम दुख सहते हैं |


दिल की बात लबों पर लाकर, अब तक हम दुख सहते हैं| 
हम ने सुना था इस बस्ती में दिल वाले भी रहते हैं| 

बीत गया सावन का महीना मौसम ने नज़रें बदली, 
लेकिन इन प्यासी आँखों में अब तक आँसू बहते हैं| 

एक हमें आवारा कहना कोई बड़ा इल्ज़ाम नहीं, 
दुनिया वाले दिल वालों को और बहुत कुछ कहते हैं| 

जिस की ख़ातिर शहर भी छोड़ा जिस के लिये बदनाम हुए, 
आज वही हम से बेगाने-बेगाने से रहते हैं| 

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