मेरी आरज़ू | Meri Aarzoo




कोई रात मेरे आशना, मुझे यूँ भी तो नशीब हो
न रहे ख्याल लिबास का, वो इतना मेरे करीब हो 

बदन की गर्म आंच से, मेरी आरजू को आग दे 
मेरा जोश बहक उठे, मेरा हाल भी अजीब हो 

तेरे चाशनी वजूद का सारा रस मैं चुरा लूँ
फिर तू ही मेरा मर्ज़ हो, और तू ही मेरा तबीब हो

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