यादें !


मौसम में आज बरसने का मन है 
ठंडी हवा के साथ बूंदों का आगमन है 
ऐसे में क्यूँ मेरा दिल भर आया है 
याद आयी तेरी या तन्हाई ने बुलाया है 

मिट्टी की खुश्बू ने सबको मदहोश कर दिया 
बच्चों ने रास्ते पर ख़ुशी का ऐलान कर लिया 
पर क्यूँ फिर मौसम ने मेरी आँखों को नम कर दिया 
शायद टूटा है कोई सपना जिसने मन को झकझोर दिया 

ऐसे बारिश में भी क्यों है प्यास अधूरी 
क्यों नही होती कभी दिल की कमी पूरी 
कभी खिड़की पर तो कभी बिस्तर पर बैठते हैं हम 
और याद करते हैं वो पहली मुलाकात हमारी 

वो एक छाते में हमारा संभल के चलना 
वो बाहों में प्यार से लड़ना झगड़ना 
और चलते हुए बस तुम्हारी बातें सुनना 
और वो शरमाती हुई मुस्कान पे दिल का मचलना  

ना आएगा वो पल लौट कर दोबारा 
ना आएगी वो रात कभी मुड़ के दोबारा 
शुरू हो गयी है बरसात अब आसमान से 
और सुखा नही है अब मेरी आँखों का किनारा 

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