सुन लो मेरी बात कहीं से आ जाओ.....












तन्हा है मेरी जात कहीं से आ जाओ 
सुन लो मेरी बात कहीं से आ जाओ 
दुश्मन बाज़ी जीत रहा है चुपके से 
होने को है मात कहीं से आ जाओ 
कच्ची इटें और इमारत गेरे की 
और उसपर बरसात कहीं से आ जाओ 
दिल की बस्ती पर है खौफ अंधेरों का 
हो जाये न रात कहीं से आ जाओ 
कच्ची उमरें उस पर ख्वाब मोहब्बत के 
क्या क्या हैं ज़ज्बात कहीं से आ जाओ 
आँखे रास्ता देख रही हैं मुद्दत से 
गर्दिश में हैं हालात कहीं से आ जाओ 
मौसम मौसम लोग बदलते हैं "ख्वाहिश"
दिल पर हैं सदमात कहीं से आ जाओ.… 

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