कभी इंसान सही या गलत नही होता,
एक नज़रिया उसे सही या गलत बनाता है,
कोई देखता है कीचड़ में कमल का फूल,
तो किसी को चाँद में भी दाग नज़र आता है !!
किसी की बेवफाई का ग़म क्या करना,
वक़्त तो अक्सर बड़े-बड़े को झुकता है,
बदल जाए ना क्यूँ इंसान की फ़ितरत,
साल भर में चार बार मौसम भी बदल जाता है !!
कभी इनकार का सच कडवा लगता है,
और कभी झूठी हमदर्दी भी प्यारी लगती है,
पर क्यूँ इसपर भी नाराज़ होना,
ये तो अपने मन की मजबूरी होती है !!
रंग, रूप और दौलत का खेल भी अजीब होता है,
खुशियाँ खरीद नही सकता, ग़म बेच नही पाता है,
पर फिर भी कैसी आज़माइश है दुनिया की,
जो समझ गया वो अकेला, जो नहीं वो महफ़िल में होता है !!
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