ले जाएगी ये राह कहाँ वो मंजिलें अपनी
अनजाने, अनदेखे रास्तों से गुज़र रही है ज़िन्दगी
ये कशमकश का सिलसिला ये उम्मीदों के जलते दिए
अंधेरों को हटा कर रौशनी की दे सहर ऐ ज़िन्दगी
मुस्कुराहटों के दरमियाँ क्यूँ भीगी सी है ज़िन्दगी
सूनी आँखों के अश्कों को जुगनूँ बना दे ज़िन्दगी
नींद से खाली रातें, बोझिल से हैं दिन
सुकून के चार पल हमको अता कर दे ऐ ज़िन्दगी
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