आरज़ू थी तेरी बाँहों में दम निकले....









आरज़ू थी तेरी बाँहों में दम निकले,
कसूर तेरा नही बदनसीब हम निकले. 
जहाँ भी जाये खुश रहे तू सदा, 
दिल से मेरे दुआ सदा यही निकले. 
मेरे होठों की हंसी तेरे होंठो से निकले, 
तेरे ग़म का दरिया मेरे आँखों से निकले. 
ये जिंदगी तुम्हारी सदा हंसती हुई निकले, 
अगर चाहे तो हमे रुलाती हुई निकले. 
अगर जिंदगी में कभी जीना पड़े तेरे बिन, 
तेरी डोली से पहले अर्थी मेरी निकले. 
आरज़ू थी तेरी बाँहों में दम निकले, 
कसूर तेरा नही बदनसीब हम निकले.

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