आ जाओ किसी रोज तुम तो...












आ जाओ किसी रोज तुम तो, तुम्हारी रूह में उतर जाऊं,
साथ रहूँ मैं तुम्हारे न किसी को नजर आऊँ,
चाहे भी तो कोई छू न सके मुझको 
इस तरह से, तुम कहो तो तुम्हारी बाँहों में बिखर जाऊं,
करूँ जो निछावर मोहब्बत मैं तुमसे लिपट कर,
इस अदा से छू लूँ तुम्हें कि हद से गुजर जाऊं,
अब तो लग जाओ सीने से कि मेरी सांस थम जाये,
आगोश में ले कर अपनी तुम्हारी साँसों में उतर जाऊं.

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