मेरी दीवानगी अपना ठिकाना धूंढ लेती है

मेरी खामोशियों में भी फ़साना ढूंढ़ लेती है
बड़ी शातिर है ये दुनिया बहाना ढूंढ़ लेती है 

हकीकत जिद किये बैठी हैं चकनाचूर करने को 
मगर हर आँख फिर सपना सुहाना ढूंढ़ लेती हैं

उठाती हैं जो खतरा हर कदम पर डूब जाने का 
वही कोशिश समुंदर में खजाना ढूंढ़ लेती है 

ना चिड़िया की काम न कारोबार है कोई 
वो केवल हौशले से आबो-दाना ढूंढ़ लेती है 

जूनून मंजिल का राहों में बचाता है भटकने से 
मेरी दीवानगी अपना ठिकाना ढूंढ़ लेती है

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