कुछ देर पहले नींद से......

कल रात जाने क्या हुआ, 
कुछ देर पहले नींद से,
कुछ अश्क मिलने आ गए,
कुछ ख्वाब भी टूटे हुए,
कुछ लोग भी भूले हुए,
कुछ गर्द में लिपटे हुए। 

 कुछ बेपनाह पहेली हुई,
कुछ खोल में सिमटी हुई,
बेरब्त सी सोचें लिए 
भूली हुई बातें लिए,
इक शख्स की यादें लिए,
फिर देर तक जागते रहे। 

सोचों में गुम बैठे रहे,
ऊँगली से ठन्डे फर्श पर,
इक नाम बस लिखते रहे,
कल रात भी वो रात थी,
                                                   कुछ देर पहले नींद से,
                                                   हम देर तक रोते रहे। 

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